एक था भगवान , एक था शैतान
दोनों मुझमे ही रहते हैं.
वह थे भी, हैं भी और रहेंगे भी,
मैं रहूँ या न रहूँ।
एक वक़्त था जब, भगवान और शैतान में होती थी लड़ाई
दो अलग़ अलग़ दुनिया थी- जब होता था सतयुग में युध.
पर अब तोः कलयुग है…. मुझमे ही यज्ञ है और मुझमे ही यम है
मैं ही युग हूँ, मैं ही श्रिष्टि,
मैं ही हर्ता और मैं ही करता
वह पुराण युग था जब ब्रह्मा, विष्णु महेश थे,
अब मैं…… इंसान…. सब कुछ बिगड़ने की शक्ति रखता हूँ
जोः बनाता हूँ, वह छलावा है
मैं परिरक्षक तोः कभी बन न सका
पर इंसान हूँ, बड़ा विध्वंसक तोह हूँ ही