इतना घूमा हूँ मैं आज, कुछ भुलाने की खातिर,
जो भुला दिया था, वो भी याद आ गया यारों।
बात बस पीने की रही होती, तो पानी ही बहुत था,
गरज़ थी बहकने की, हर नशा कम पड़ गया यारों।
शौक शराब पीने का नहीं , है तो सिर्फ नशे में रहने का,
अगर नज़रों से न कर सके घायल, तो बोतल से पिला देते यारों ।
मेरे ज़हन में बस मेरा माशूक ही नहीं, और भी फरियादें थीं
खुदा समक्ष , उसका नाम आते आते, सब वक़्त गुज़र गया यारों .
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~ जवाहर
sach bataanaa DOST . yeh shair ORIGINAL teray hain yaa nakl ? jo bhi ho, DILko chhootay hain DIL KI BAAT kah bhi dayntay hain …..IRSHHAD ! !! !!! !!!!! !!!!!!
Sir, these are original Mind Wanderings…!