इक हँसती हुई ज़िन्दगी की तलाश है मुझे
जो बेमानी बातों पर हँसे, और छोटी खुशिओं पर खुश हो।
अच्छा होगा अगर झिंदगी की स्मरण शक्ति कम हो
बेबात की उदासिओं को तो भूल सकेगी !
एक नया रास्ता अपनाएगी , एक नयी राह पर चलेगी
जब पुराने डर ज़हन में न होंगे, त़ो जीने की नयी राह इजाद हो जाये।
शायद वो ज़िन्दगी मेरे साथ ही है, बुला रही है मुझे
पर क्यों मैं ही अपने अतीत से जुदा नहीं हो पा रहा?
कमी ज़िन्दगी में तो है ही नहीं , वोह तो मौका देती है
मेरी नज़र कमज़ोर है या फिर नयॆ रास्ते पर चलने का डर।
पर अब खौफ्फ़ किस बात का, जब सब डर ही बे बुनियाद हैं
अगर जीत गया तो जीत है , अगर हार गया तो नयी राह की तालाश है !
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~ जवाहर